भारत के ऑपरेशन सिंदूर के बाद:

क्या अब अयोध्या एक वैध सैन्य निशाना बन चुकी है?

पाकिस्तान के ऑपरेशन ग़ज़वत-उल-हिंद के अंतर्गत

 

भारत ने “आतंकवाद विरोधी” कार्रवाई के नाम पर पाकिस्तान की मस्जिदों पर हमला किया और निर्दोष महिलाओं, बच्चों और नागरिकों की हत्या की।

 

पाकिस्तान का ऑपरेशन ग़ज़वत-उल-हिंद — जो कि भारत के हिंदुत्व आतंकवाद के ख़िलाफ़ एक राजनीतिक और सैन्य प्रतिक्रिया है — दुनिया के सामने यह सवाल रखता है:

 

            क्या अयोध्या — जहाँ से हिंदुत्व आतंक की विचारधारा ने जन्म लिया — अब एक वैध युद्धक्षेत्र बन चुका है?

 

ऑपरेशन ग़ज़वत-उल-हिंद का संदेश बिल्कुल स्पष्ट है:

  • यह प्रतिशोध की नीति है।
  • यह न्याय की नीति है।
  • यह एक चेतावनी है:

अगर तुम सिखों और मुसलमानों की इबादतगाहों पर हमले करोगे, तो अयोध्या ही युद्ध का मैदान बनेगा।

 

भारत द्वारा धार्मिक स्थलों पर हमलों का लंबा और खून से सना हुआ इतिहास:

  • ऑपरेशन ब्लू स्टार (1984): अकाल तख्त में टैंक घुसाए गए, सिख श्रद्धालुओं को बेरहमी से मारा गया।
  • 1984 नवंबर सिख नरसंहार: हज़ारों गुरुद्वारे जलाए गए, गुरु ग्रंथ साहिबों की बेअदबी की गई, सिखों को सड़कों पर काटा गया।
  • ऑपरेशन ब्लैक थंडर (1988): श्री दरबार साहिब पर एक और सैन्य हमला।
  • 1992 — बाबरी मस्जिद विध्वंस: राज्य की सुरक्षा में मस्जिद को ईंट-दर-ईंट गिराया गया।
  • 2025 — ऑपरेशन सिंदूर: पाकिस्तान की मस्जिदों पर बमबारी, महिलाओं और बच्चों का निर्मम कत्लेआम।

 

मोदी, शाह, राजनाथ, जयशंकर और डोभाल — सुन लो:

पाकिस्तान का ऑपरेशन ग़ज़वत-उल-हिंद

भारत को नौ टुकड़ों में बाँट देगा।